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लेखक:

वीरेन्द्र सिंह यादव

डॉ. वीरेन्द्र सिंह यादव

सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक, साहित्यिक तथा पर्यावरणीय समस्यायों से सम्बन्धित गतिविधियों पर युवा साहित्यकार डॉ. वीरेन्द्र सिंह यादव ने अपना सृजन किया है। शिक्षा जगत में कई उपलब्धियाँ हासिल कर चुके डॉ. वीरेन्द्र सिंह यादव ने भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय,नई दिल्ली एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली की लघु एवं दीर्घ कई परियोजनाओं में कार्य किया है। आपने भारत सरकार की प्रतिष्ठित संस्था भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान ,राष्ट्रपति निवास, शिमला (हि.प्र.) में तीन वर्ष (2008-11) के लिए एसोसियेटशिप के रूप में कार्य भी सफलता पूर्वक पूरा किया है। आपने हाशिए पर पड़े समाज को अपने विमर्श का केन्द्र बनाकर उनके विकासवाद की अवधारणा को स्थापित कर सामाजिक, आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया है।

भारत में समाजवाद, मुस्लिम विमर्श, स्त्री विमर्श,दलित-आदिवासी विमर्श, पर्यावरण एवं राष्ट्रभाषा हिन्दी में आपने 100 से अधिक पुस्तकों का सृजन एवम् सम्पादन किया है। इसके साथ ही आपके 1000 (एक हजार से अधिक लेखों, शोध आलेखों का प्रकाशन विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में हो चुका है। तथा आप सौ से अधिक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय गोष्ठियों में सक्रिय भागीदारी कर चुके हैं। आपको राष्ट्रभाषा महासंघ, मुंबई द्वारा विशेष पुरस्कार, राजमहल चौक, कवर्धा, छत्तीसगढ़ के हिन्दी भाषा, हिन्दी साहित्य एवं समग्र सृजन हेतु स्व. श्री हरि ठाकुर स्मृति पुरस्कार से सम्मानित, बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर फेलोशिप सम्मान-2006, साहित्य वारिधि मानदोपाधि एवं निराला सम्मान- 2008, अमूल्य हिन्दी सेवा के उपलक्ष्य में पं. शिवदत्त चतुर्वेदी अलंकरण, दिसम्बर 2011, औरैया सहित अनेक सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है। वर्तमान में आप अध्यक्ष, हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ उ.प्र. के पद पर कार्यरत होने के साथ ही भारत सरकार की प्रतिष्ठित संस्था भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, राष्ट्रपति निवास, शिमला (हि.प्र.) में पुनः तीन वर्ष के लिए भारत में समाजवाद के उभरते क्षितिज और गहराती चुनौतियाँ विषय पर एसोसियेटशिप के रूप में भी कार्य कर रहे हैं।

कृतिका (शोध-पत्रिका)

वीरेन्द्र सिंह यादव

मूल्य: Rs. 400

देश-देशान्तर मित्रों का शोधपरक अनुष्ठान कृतिका   आगे...

विश्व भाषा के रूप में हिन्दी

वीरेन्द्र सिंह यादव

मूल्य: Rs. 500

विश्व भाषा के रूप में हिन्दी

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